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samaas

  संस्कृत में समास की परिभाषा   ' एकपदीभाव: समासः '   अर्थात् समास में कई पद मिलकर एकपद बन जाते हैं।   समास विग्रह  - सामासिक शब्द या समास के द्वारा बने हुए शब्द के सभी पदों को अपने मूल रूप में विभक्ति के साथ अलग-अलग करके दिखलाना ' समास   विग्रह ' कहलाता है। चूँकि यह भी समास से सम्बंधित पद है इसलिए इसकी भी जानकारी हमें आवश्यक है |  जैसे नीलोत्पलम् का विग्रह हुआ-नीलम् उत्पलम् । समास के भेद   समास के मुख्य चार भेद हैं-   १.   अव्ययीभाव , २.   तत्पुरुष , ३.   द्वन्द्व   और ४.   बहुव्रीहि  |  मूलतः तत्पुरुष के मुख्य दो भेद हैं- कर्मधारय   और   द्विगु   और इस प्रकार कुल छह समास हैं : 1.      अव्ययीभाव   2.      तत्पुरुष   3.      कर्मधारय   4.      द्विगु   5.      बहुब्रीहि   6.      द्वन्द   1. अव्ययीभाव समास    पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावः   अर्थात जिस समास का   पहला पद प्रधान हो , उसे   अव्ययीभाव समास   कहते हैं। इसमें अव्यय पदों का सुबन्त पदों के साथ समास होता है।   अव्ययीभाव समास में प्रायः    पहला पद प्रधान होता है। पहला पद या पूरा पद